Saturday, February 26, 2011

भ्रम

हृदय में मचा भूचाल
बढ़ते हाथ कलम की ओर
मानो कलम न हो, हो ढाल

भ्रम में रहती जीवित
न रहते उसके होगा
मन आघातों से पीड़ित

कि करती कैद कहानी
और हरते हर मंशा को
शब्द-रुपी सैनानी

जैसे कागज़ की ओर
नस-सी कलम में बहता
रक्त हृदय को छोड़


करता शब्दों को संचित
जागृत होती कविता
मंद-मंद मन मूर्छित..